छोटे व्यापारियों का लोन डिफाल्ट मार्जिन मार्च 2017 में 8249 करोड़ से बढ़कर मार्च 2018 तक 161218 करोड़ हो गया.
दो हफ्ते पहले जारी की गई एक दूसरी स्टडी में आरबीआई ने स्वीकार किया था कि माइक्रो, छोटे व मध्यम स्तर के उद्योगों को नोटबंदी और जीएसटी की वजह से नुकसान पहुंचा है. उदाहरण के लिए रत्न और आभूषण से संबंधित उद्योग में नोटबंदी के बाद कैश की कमी की वजह से कॉन्ट्रैक्ट पर काम करने वाले तमाम मजदूरों को वेतन नहीं मिला.
आरबीआई की मॉनीटरी पॉलिसी डिपार्टमेंट के हरेंद्र बेहेरा और गरिमा वाही ने कहा कि इसी तरह से जीएसटी के आने के बाद भी छोटे उद्योग टैक्स की सीमा के भीतर आ गए जिसकी वजह से उनकी लागत बढ़ गई. इससे उनको काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा.
SMERA रेटिंग्स लिमिटेड द्वारा हाल ही में करवाए गए एक सर्वे के अनुसार 60 फीसदी से अधिक लोगों ने बताया कि उनका सिस्टम इस बदलाव के लिए तैयार नहीं था. सिडबी द्वारा करवाई गई एक स्टडी के अनुसार नोटबंदी और जीएसटी लागू करने के बाद शुरू में क्रेडिट एक्सपोज़र (वह राशि जो किसी लोन डिफाल्टर द्वारा चुकता न किए जाने पर बैंक को अधिकतम नुकसान हो सकता है) मार्च 2018 तक घटा है.